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आगामी कृषि सलाह
1. गेहूं :- गेहूं में सिंचाई 27-30 दिन के अन्तर पर करते रहें । इस माह तापमान बढने के दशा में गेहूं में बीमारिया नजर आने लगती है, जिनमें पीला रतुआ या धारीदार रतुआ, भूरा रतुआ या पत्तों का रतुआ तथा काला या तने का रतुआ रोग प्रमुख है । इन रोगों के रंगदार धब्बे पत्तों व तनों पर नजर आते हैं । बीमारी नजर आते ही 800 ग्राम जिनेव (डाझ्थेन जेड 78) या मैनकोजेव (डाईथेन एम-45) को 250 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें । उसके बाद 10-15 दिन के अन्तर पर २ या 3 छिडकाव करें । चूर्णी या पाउडरी मिल्डयु बीमारी में पत्तों में सफेद चूर्ण बन जाता है । जिससे बाद में बालियां भी रोगग्रस्त हो जाती है । रोग नियंत्रण के लिए 800-1000 ग्राम घुलनशील गंधक का छिडकाव करें । रोगरोधी किस्में लगाना ही सर्वोत्तम बचाव है|
2. सब्जियॉं : भिण्डी की पूसा ए-4 किस्म की बुआई फरवरी माह में कर दें। भिण्डी बुवाई के 8-10 दिन बाद सफेद मक्खी व जैसिड कीटो से बचाव के लिए 1.5 मिली मोनेाक्रोटोफास दवा प्रति 1 लिटर पानी के हिसाब से या 4 मिली इमकडक्लोप्रिड दवा प्रति 10 लीटर पानी की दर से का छिडकाव करें। भिण्डी में उर्वरक की पूर्ति के लिए 15 टन प्रति हैक्टेयर गोबर की खाद के साथ 100:50:50 की दर से NPK डालें। इस माह में लौकी की पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश (गोल फल) , पूसा समृध्दि एवं पूसा हाईबिड 3 की बुवाई करें। खीरे की पूसा उदय , पूसा बरखा की बुवाई करें। चिकनी तोरई की पूसा स्नेध व धारी दार तोरई की पूसा नूतन किस्मों की बुआई करे। करेले की पूसा विशेष पूसा औषधि एवं पूसा हाइब्रिड 1,2 की बुआई करें।
3.फल फसलें: आम मे चुर्णिल आसिता रोग से बचाव के लिए 2 ग्राम पति 1 लिटर के हिसाब से घुलनशील गंधक का छिडकाव करें आम में यदि पुष्प कुरूपता दिखाई दे रही है तो गुच्छों को तुरंत काटकर नष्ट कर दें। आम में हॉपर कीडे के नियंत्रण के लिए कार्बारिल दवा 2 ग्राम प्रति 1 लिटर पानी की दर से छिडाव करें। अमरूद में फलों की तुडाई के पश्चात कटाई छंटाई करें|
4.चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए 3-4 फेरोमॉन ट्रैप प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 40-45% फूल खिल गये हों। "T" अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं।
5.इस सप्ताह तापमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई के लिए खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 10 से 15 किलोग्राम इस्तेमाल करें।
6. सोयाबीन में पत्ती खाने वाले कीट दिखने पर ट्राईजोफास 2 मि.ली. दवा/लीटर पानी के दर से या फ्लुबेंडामाईड 0.5 मि.ली. दवा/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर 200 लीटर घोल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। दवा छिड़काव के 3 घंटे के भीतर बारिश हो जाने पर पुन: छिड़काव जरुरी है व साबुन के घोल का उपयोग करें।
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1. रबी फसलों और सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि यह परांगण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मघुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें और दवाईयों का छिड़काव सर्दी के मौसम में सुबह या शाम के समय ही करें। https://www.gaonconnection.com/krishi-sujhaw/agricultural-advisory-february-month-cucumber-okra-wheat-potato-spinach-50369
2. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि की बुवाई पौधाशाला में कर सकते है और तैयार टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौधों की रोपाई कर सकते है। बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणिक स्रोत से करें।
3.मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि आलू में पछेता झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें और प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान @ 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
4.किसान एकल कटाई के लिए पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पी.ई.बी, एच एम-1) की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
5.गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं।
6. मटर की फसल में फली छेदक कीट और टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति एक तीन से 4 फेरोमॉन ट्रैप लगाएं, यदि कीट अधिक हो तो बी.टी नियमन का छिड़काव करें।
7.इस मौसम में गेंदे में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है इसलिए किसान फसल की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर या इन्डोफिल-एम 45 @ 2.0 एम.एल/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
8.इस मौसम में मिली बग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे। तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जायेंगे।
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पशुपालन
1. गाय व भैस को टो में आने के 12 से 18 घंटे के अन्दर गाभिन करवाने का उचित समय है |
2.दुधारू पशुओं में थैनेला रोग से बचाव के उपाय करें | पशुओं को अन्त:परजीवी नाशक दवाई पशु – चिकित्सक की सलहा अनुसार नियमित दें |
3. दुधारू गायो को यदि चराने ले जाते हैं तो उनके अयन एवं थन पर हिमैक्स मलहम लगायें ताकि मक्खियाँ न बैठे।
4. बरसीम की पहली बिजाई इस माह के अन्तिम सप्ताह में शुरू करें | बरसीम के साथ राई घास मिला कर बिजाई करने से हरे चारे की पौष्टिकता व ऊपज में वृद्धि होती है |
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